An eagle view of majuli Island

रिकैप | नार्थईस्ट भारत से पहली मुलाकात

अभी हमारी नार्थ ईस्ट ट्रिप आधी भी नहीं हुए थी और नॉर्थ ईस्ट आलरेडी हमारा दिल जीत चुका था. इसमें सबसे पहला हाथ असम ने मारा। हवाई जहाज़ की खिड़की से जब ब्रह्मपुत्र नदी को पहली बार देखा, हम तभी पागल हो गए थे. फिर इसमें गुवाहाटी के सूर्योदय ने भी कसर नहीं रखी और काज़ीरंगा में आस पास हाथियों को पानी में लोट मारते देख असम हमको चढ़ने लगा था.

बावरे बंजारे इन नार्थईस्ट इंडिया

ट्रिप के दूसरे दिन शाम को हम गुवाहाटी से जोरहाट पहुंचे. वहां से माजूली पहुँचने के लिए फ़ेरी में बैठेने की जो फ़ील थी न, बस पूछो मत. नार्थईस्ट भारत के नाम का एक झंडा हमारे दिलों में गड़ चुका था. माजुली! माजुली कोई आम जगह नहीं है. यह वो जगह है जो आज है, और कल नहीं, किसी को पता नहीं। यही बात इस जगह को इतना ख़ास बनाती है. वैसे ब्रह्मपुत्र नदी के बीच बसे इस टापू की कहानी, ह्यूमन सर्वाइवल विद नेचर का एक जीता-जागता उदाहरण है. इस ट्रिप की आगे की कहानी पढ़ने से पहले आप माजुली में हमारे पहले दो दिनों की कहानी ज़रूर पढ़ लीजिए।

Besutiful sunset in Majuli
माजूली द्वीप से एक जादुई सनसेट

दो दिन माजुली में बिताने के बाद हमारा ट्रिप पर आगे निकलने का मन नहीं हो रहा था! नार्थ ईस्ट ट्रिप का अगला डेस्टिनेशन नागालैंड था. किताबों में पढ़ा था कि नागालैंड को ‘Land of Festivals’ कहा जाता है। ट्रिप पर हमारा मेन मकसद भी हॉर्न्बिल फ़ेस्टिवल अटेंड करना ही था. अपना तामझाम लपेट हम लोग माजुली से बाहर निकलने के लिए कार के साथ फ़ेरी पर लद लिए। ज़ोरहाट से दीमापुर होते हुए नागालैंड के कोहिनूर कोहिमा शहर तक की दूरी 243 किलोमीटर है. पूरा दिन गाड़ी में बैठे बैठे ही बीत गया. पर पूरे रास्ते हमने असम को पानी से प्लेन और फिर पहाड़ होते देखा. ब्रह्मपुत्र वैली को पीछे छोड़ हम बराक वैली की पहाड़ियों में दाखिल हुए. सड़क किनारे आपको जब अनानास दिखने लगें, तो मतलब आप नागालैंड पहुँच ही गए.

रोड किनारे जबअनानास दिखने लगे, समझो नागालैंड आ गया।

शाम 7 बजे तक हम लोग कोहिमा शहर में दाख़िल हुए. सारा शहर जगमगा रहा था. दिसंबर नॉर्थईस्ट घूमने का बेस्ट महीना है, मौसम इतना बढ़िया रहता है कि बस एक जैकेट वाली ठंड, उसमें हॉर्न्बिल फ़ेस्टिवल, और साथ में क्रिसमस की तैयारियां। पूरे शहर में अच्छी चहल पहल हो रखी थी. स्ट्रीट फ़ूड के ठेलों से उठती लज़ीज़ ख़ुशबू और वहां के क्राउड ने हमें कोहिमा रुकने को मज़बूर कर दिया। वैसे भी आज हम काफ़ी ट्रेवल करके आए थे. यहां से हम सीधा हार्नबिल फ़ेस्टिवल वाली साइड भी जा सकते थे, कोहिमा से ज्यादा दूर नहीं था, पर वहां जाकर रात में रुकने का सीन थोड़ा मुश्किल हो जाता। हमने कोहिमा में ही होटल ढूँढना शुरू कर दिया. रात के 9 बजते बजते हमको यह बात समझ में आने लग गई कि दिसंबर में अगर नागालैंड आओ, तो पहले रुकने का सीन ज़रूर बुक करके आओ. बड़ी मुश्किल से जा के एक होटल में रुकने की बात बनी. होटल के सभी कमरे फ़ुल थे, पर बात करने पर होटल के शेफ भाई लोगों ने अपना बंकर हमे दे दिया. सुबह तक की बात थी बस. अगले दिन तो हार्नबिल में मज़े करने थे. अनानास खा खा के हमारा पेट तो भरा था, पर डिनर तो आर्डर करना ही था.

कोहिमा में डिनर
नॉर्थईस्ट भारत से पहली मुलाक़ात। ट्रिप का पांचवा दिन — कोहिमा शहर देखने की शुरुआत। 
कोहिमा शहर की सुबह

रात में रहने की जगह ढूंढते हुए, जो कोहिमा नज़र नहीं आया था, वो सुबह की रौशनी में एकदम पोस्टकार्ड फ़ोटो लग रहा था. हॉर्न्बिल फ़ेस्टिवल हमारे होटल से कुल 12 किलोमीटर ही था, तो जल्दी करने की कोई बात ही नहीं थी. हम आराम से फ़्रेश होकर, ब्रेकफ़ास्ट करके होटल से निकले. देखने को हमने छोटे-बड़े कई शहर देखे थे, पर कोहिमा उन शहरों जैसा शहर नहीं है — यहां की फिज़ा एकदम अलग है. कोहिमा शहर की ख़ूबसूरती तो तब भी बाद की बात है, पहले तो आप यहां के लोगों का ड्रेसिंग सेंस देख कर ही हिल जाएंगे. दिल्ली से गए हुए हम लोग तक नागालैंड का लाइफ़स्टाइल देख कर दंग रह गए थे. अगर आपको लगता है कि नार्थईस्ट से लोग दिल्ली या मुंबई जैसे शहरों में आकर अपना पहनावा बदलकर मॉडर्न बनने लगते हैं, तो आपको इस पूर्वाग्रह से निकलने के लिए एकबार नार्थईस्ट के शहरों में जाकर लोगों को देखना चाहिए.

आइंस्टीन, एमिनेम ,कलाम एंड चे इन कोहिमा सिटी

हमलोग कोहिमा शहर एक्स्प्लोर करते हुए हार्नबिल फेस्टिवल की तरफ बढ़ रहे थे. कलाम, लिंकन, इंस्टीन और एमिनेम — अगर कोई शहर आपको इन सब को एक ही फ़्रेम में दिखाता है, तो आपको एक बार ऐसे शहर को क़रीब से ज़रूर जानना चाहिए. हमारे पास कोहिमा में बिताने का ज्यादा समय तो नहीं था, पर दुबारा यहां आने के लिए शहर की इतनी झलक काफ़ी थी. कोहिमा से किसामा जाकर अब बारी थी नागालैंड के सबसे फ़ेमस ‘हॉर्नबिल फेस्टिवल’ अटेंड करने की. यही मौका था यहां के लोगों को और अच्छे से जानने का. जब तक हम आपसे नार्थईस्ट यात्रा की आगे की कहानी बताएं, तब तक आप हार्नबिल फेस्टिवल के फोटो-ब्लॉग का लुत्फ़ उठाइए .

द एंट्री गेट फॉर हॉर्नबिल फेस्टिवल

हमने हॉर्नबिल फेस्टिवल में क्या देखा और क्या सीखा, बताएंगे नार्थईस्ट ट्रिप के अगले पार्ट में।

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