Drone view of Homestay In Manali

Lost In The Himalayas Homestay, Vashisht – यहाँ से पूरा वशिष्ट दिखता है!

कहते है कि दोस्ती इस दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत चीज़ है पर एक बात हम आपको बता देते हैं — आप पहाड़ों में घूमने के मुरीद हों और दोस्त अगर पहाड़ी मिल जाए तो फिर क्या ही कहने! 15 अगस्त वाले वीकेंड पर अपने मनाली ट्रिप के पहले दिन तो हम मिलने चले गए थे Lagom Stay, Manali वाले हर्ष भाई के पास – एक दो दिन में हमप्ता पास चढ़ने का प्लान जो था. पर कहाँ बावरे बंजारों की ट्रिप पर प्लानिंग के हिसाब से कुछ होता है – सुबह की चाय पर ये प्लान बन गया कि कोई ऐसा अड्डा ढूँढा जाए जहाँ हफ्ता भर बस बादलों को उड़ते देख सकें और जवाब आया – “Lost In The Himalayas Homestay In Vashisht जा सकते हैं!”

Lost In The Himalayas Homestay In Vashisht has board games and other fun activities to offer.
प्रणव अपने गेस्ट के साथ कैरमबोर्ड खेलते हुए

और पहाड़ी चाय से याद आई प्रणव कुकरेती साहब की — प्रणव से हम 2017 में मिले, कसोल में अपने छोटे से कैफ़े में बेहतरीन चाय पिलाया करते थे. आपने ये नोटिस किया है कभी की जिस शख्श ने पहाड़ों में अच्छी बातों के बाद अच्छी चाय पिलाई हो, वो वैसे ही सारी उम्र याद रह जाता है. प्रणव के बारे में हमारे पास लास्ट अपडेट ये था कि आजकल इन्होने अपना अड्डा कसोल से मुल्तवी कर, मनाली के पास ही वशिष्ठ गाँव में बनाया हुआ है. एक घर किराए पर लिया है और वहां अपने जैसे घुमक्कड़ों को होस्ट भी करते हैं.

Tea with this view from the Lost In The Himalayas Homestay In Vashisht near Manali
अगर किसी ने पहाड़ों में अच्छी बातों के बाद अच्छी चाय पिलाई हो, तो वो वैसे ही सारी उम्र याद रह जाता है!

“प्रणव भाई, हम 5 लोग हैं, आपके घर रुकना चाहते हैं! शाम 7 बजे पहुंचेंगे वशिष्ट। 18 तारिख तक के लिए दो कमरों की व्यवस्था है क्या? खाना हम खुद बना लेंगे अगर आप किचन में हमें घुसने दे दो तो” – फ़ोन लगाया गया कुकरेती साहब को!

“बाकी सब तो ठीक है पर अँधेरे में पहाड़ कैसे चढ़ोगे?” – प्रणव भाई ने ये तो बता दिया कि घर 10 मिनट की चढ़ाई है पर चढ़ाई कैसी है इसका न तो हमने पूछा और न ही उन्होंने बताना मुनासिब समझा।

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View of Lost In The Himalayas Homestay In Vashisht from Manali
फ़ोटो के सेंटर में देखिए, ऊपर से तीन घरों की कतार में बीच वाला घर!

हम वशिष्ठ पहुँचते, इससे पहले रात दस्तक दे चुकी थी। पहाड़ी गाँवों में इसका मतलब है कि गलियों में आपको शायद ही कोई मिले! पर जैसे ही हम वशिष्ठ मंदिर के पास पहुंचे, प्रणव हमारा इंतज़ार कर रहे थे!

“वो देखो, वो दूर वहां लाइट जल रही है न, ऊपर दाईं ओर, वहीँ है अपना अड्डा !” – प्रणव भाई आगे और हम पीछे – पीछे हो लिए, कन्धों पर 5 दिन की कैंपिंग का सारा सामान लेकर। 15 मिनट और आधा रास्ता – हमें पता चल गया कि प्रणव भाई एक सफल होस्ट हैं और गाइड भी. बिलकुल भी पास नहीं था हमारे अंदाज़े के मुताबिक। कुल आधे घंटे और 10 मिनट लगे — उस समय रात के अंधेरे में चढ़ने और उसके बाद साँस वापस पाने में!

“ऊपर आ जाओ भाई जी” – हमें ग्राउंड फ़्लोर पर बने दो कमरों में सेटल करके होस्ट साहब चले गए ऊपर, फर्स्ट फ्लोर पर. अब बालकनी से कैसे नज़ारे हैं आपको पता है? पूरी ब्यास घाटी की टिमटिमाती बत्तियाँ आपको सुबह के नज़ारे दिखाने के मायाजाल में फांस लेंगीं। हमने डिसाइड किया कि बहार ही सोया जाए! सुबह सनराइज के मज़े लिए जाएंगे!

Solang valley and Rohtang from Manali
और सुबह हो गई ! View of the Solang Valley and Rohtang towards the right of the home.

सुबह के नज़ारे, बादलों का खेल और ईद की तैयारी

Manali as seen from Lost In The Himalayas Homestay In Vashisht
घर से Manali ऐसा दिखता है

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सुबह के नज़ारों और आते-जाते बादलों के खेल ने माहौल ऐसा बना दिया कि हम बस बालकनी में बैठे रहे और टकटकी लगाए देखते रहे. प्रणव भाई के घर से सिर्फ नज़ारें ही अच्छे नहीं है, इनकी बनाई हुई चाय और उनके किताबों का संग्रह — किताबें, चाय, पहाड़ों के नज़ारें और कुछ ख़ास इंसान, आपको और क्या चाहिए! अगली रोज़ सुबह-सुबह ईद तैयारियाँ शुरू की गई! प्रणव भाई के किचन पर पूरी तरह से अतिक्रमण करने के बाद सबसे पहली बनाई गयी सेवईयां और फिर चिकन मैरीनेट करके रख दिया गया बिरयानी और कोरमे के लिए।

Kitchen of Homestay in Vashisht
किचन जिसमें इंडक्शन कूकर से लेकर ब्लेंडर तक – सब मिलेगा

अगले पांच दिन यहाँ कैसे बीते, क्या-क्या हुआ, क्या-क्या किया, इसकी कहानी तो अलग से दूसरे ब्लॉग में आएगी। पर बस इतना बता सकते हैं कि अगर आप बैकपैकर हो और आपको किसी ऐसी जगह जाना है जहाँ आप बिना किसी रोकटोक के बस पड़े रहो (बादलों के ऊपर), तो Lost In The Himalayas, Vashist एक बेहतरीन अड्डा है!


नीचे कुछ और तस्वीरें और जानकारी शेयर कर रहे हैं, देखिए:

Dining area of Lost In The Himalayas Homestay In Vashisht near Manali
खाने पीने की जगह! यहाँ कुछ बेहतरीन किताबों की कलेक्शन है।
Friendship Peak from Lost In The Himalayas Homestay In Vashisht
Friendship Peak as seen from the Lost In The Himalayas Homestay In Vashisht
Panoramic view of Manali from Lost In The Himalayas Homestay In Vashisht
घर की बालकनी से इंद्रधनुष, बस यूँ ही बैठे बिठाए बन जाता है!
Jogini Waterfall as seen from Vashisht
View Of The Jogini Waterfall, behind the Homestay

बाकी की बातें मौसम के खुलने के साथ-साथ खुलने लगीं…

Library at Lost In The Himalayas Homestay In Vashisht
किताबें, दीवारों से आती मिटटी की खुशबू और थोड़ी ठंड़ी हवा!
Balcony of the first floor at the Lost In The Himalayas Homestay In Vashisht
फ़र्स्ट फ्लोर वाली बालकनी
dogs at Manali
ये परिवार भी हमारे साथ ही पहुंचा – अब यहीं रह रहा है!
Night seens at Lost In The Himalayas Homestay In Vashisht
रात, बालकनी वाली!
Playing chess at the Lost In The Himalayas Homestay In Vashisht
पूरे बंदोबस्त हैं!

How to reach Vashisht

Vashisht is about 3 km from Manali. There are plenty of options to reach Vashisht from Manali. You can get an auto or get a cab for Vashisht. There are shared electric vans of HRTC for Vashisht from Manali which charge INR 20.

How to reach Lost In The Himalayas Homestay in Vashisht

There are stairs on right, climbing up between old Vashisht temple and hot spring when you are facing the German Bakery. These stairs go towards Bhrigu Lake. Just as you get down from the main trail of Bhrigu lake, you can see two houses a bit uphill. The second home on the trail is Lost In The Himalayas Homestay. The climb uphill from Vashisht Temple takes around 20 minutes for an average trekker.

To book a stay at Lost In The Himalayas Homestay in Vashisht, click here.

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