अबे ये क्या टाइटल हुआ ब्लॉग पोस्ट का? वो भी ट्रैवल पोस्ट, ऊपर से ऐसा कुछ धमाल भी नहीं कर आए हो। हज़ारों फ़्री सोल हैं, जो नेचर के कॉल (nature’s call नहीं) अटेंड कर के इधर उधर अफ़रा तफ़री करते ही रहते हैं। तुम कौन हो बे, इतना एक्साइटेड हो कर एक चिन्दी बात का बबाल कर रहे?तो इन सब बातों का रिस्पॉन्स इस पोस्ट की कहानी दे ही देगी, ऐसी मंगल कामना के साथ, जय फ़्री राम करते हैं। तो साहब, इस कहानी के सभी पात्र और घटनाएं सच्चे हैं, जिनका अपुन की जर्नी से डायरेक्ट रिश्ता है। […]
Adventure
तरुण गोयल साहब की ‘सबसे ऊंचा पहाड़’ और माउंट त्रिउंड की चढ़ाई के अलावा धर्मशाला से हमारी कुछ ख़ास जान पहचान तो अब तक नहीं हुई थी! मेन सिटी से 15 मिनट की दूरी पर धौलाधार की छांव में तीन चार दिन चिल करने का आईडिया था! ऊपर से खबर ये थी कि कैंप लगाने की जगह एक आइलैंड पर किसी पहाड़ी नदी किनारे है!
असंख्य बांसों के छाए में पली बढ़ीं कढ़ी पत्तों की खुशबू में धर्मशाला की अलग पहचान लेकर हम इस ट्रिप से वापस लौटे – एक और नई ट्रिप प्लान करने के लिए! आपको हमारी ये वाली ट्रिप कैसी लगी, हमें कमैंट्स सेक्शन में ज़रूर बताईयेगा! अपना और अपनों का ध्यान रखें, स्वस्थ रहे, खुश रहे! हम मिलते हैं आपसे बावरे बंजारों की अगली वीडियो में!
अगर सिर्फ लिखने की ही बात है, तो हम अपने पैरों को पंख और आपके मन को पीस लिख सकते हैं! पर अभी हमारा मन ऐसा कुछ लिखने का नहीं है — अभी तो हमारे दिमाग में सिर्फ एक क़िस्सा ए दानाई ने घर बना रक्खा है। पर यह क़िस्सा शुरू करने से पहले आपके लिए यह जानना ज़रूरी है कि क़िस्सा ए दानाई आख़िर है क्या बला! तो कान लगा के ध्यान से देखिएगा – क़िस्सा ए दानाई में दो वर्ड्स हैं, पहला क़िस्सा, जिसका माने है किस्सा, कहानी या वृतांत; और दूसरा वर्ड है दानाई, जिसका मतलब होता है विज़डम! तो जी, इस बोडोलैंड वाली ट्रिप पर जिस विज़डम से हम जिए, ये उसी की बात है – क़िस्सा ए दानाई।
वैसे ये क़िस्सा ए दानाई सुनते सुनते आपका इस बात पर हमें लताड़ने का मन कर सकता है कि हमारी लैंग्वेज प्योर और पारिवारिक क्यों नहीं है! हम बस इतना कहेंगे कि जिस दिन राजश्री प्रोडक्शन वाले अपनी फिल्मों की स्क्रिप्ट या डायलॉग हम से लिखवाने लगेंगे, उस दिन हम वो भी कर लेंगे। अब इससे पहले कि हम शूर्पनखा की तरह हांडते – हांडते, राम और लक्ष्मण पर फ़िदा हो कर अपनी नाक कटवा लें, हम अपने क़िस्सा ए दानाई पर आ जाते हैं।
सारे परफॉर्मेंसेज़ देख कर हमको आख़िरकार वो चीज़ समझ आती है जिसके लिए नागा लोगों का यह परफॉर्मेंस होता है. परफॉर्मेंसेज़ का टॉपिक इतना सीरियस होते हुए भी सब मजाकिया तौर पर हो रहा होता है. नकली गन, नकली गोली और मारना मरना सब नकली। हालाँकि इसी परफॉर्मेंस के थ्रू ये लोग युद्ध के मैदान में होने वाले नुकसान को दिखाते हैं. यही इस परफॉर्मेंस का मकसद होता है. असल वॉर की एक पैरोडी करके ये लोग ह्यूमंस की लड़ाई वाली मानसिकता पर गहरी चोट करते हैं. बेशक इन लोगों में इस बात की समझ पर्सनल एक्सपीरियंस के बाद आयी हो, पर दर्शकों को अपनी पर्फोमन्स से इस बात पर सोचने को मजबूर करते हैं.
हमलोग कोहिमा शहर एक्स्प्लोर करते हुए हार्नबिल फेस्टिवल की तरफ बढ़ रहे थे. कलाम, लिंकन, इंस्टीन और एमिनेम — अगर कोई शहर आपको इन सब को एक ही फ़्रेम में दिखाता है, तो आपको एक बार ऐसे शहर को क़रीब से ज़रूर जानना चाहिए. हमारे पास कोहिमा में बिताने का ज्यादा समय तो नहीं था, पर दुबारा यहां आने के लिए शहर की इतनी झलक काफ़ी थी. कोहिमा से किसामा जाकर अब बारी थी नागालैंड के सबसे फ़ेमस ‘हॉर्नबिल फेस्टिवल’ अटेंड करने की. यही मौका था यहां के लोगों को और अच्छे से जानने का. जब तक हम आपसे नार्थईस्ट यात्रा की आगे की कहानी बताएं, तब तक आप आप माजुली में हमारे पहले दो दिनों की कहानी ज़रूर पढ़ लीजिए।
बस, यही है अपना सीक्रेट अड्डा – बागोरी की ओर जाने वाले मेन रोड से राइट होकर कुछ 300 मीटर दूर। कैम्प सेट करिए, आग के लिए बेहिसाब लकड़ी, और नहाने धोने के लिए बढ़िया साफ पानी – कैम्प करने के लिए और क्या चाहिए? अगर आपको कुछ ‘और’ पूछना या जानना है, तो कमेंट्स में पूछ लीजिए।
अभी तक तो हमें भी इतना ही पता है. बाकी, आईडिया ये है कि रेस, लोंगेवाला बॉर्डर, वॉर मेमोरिअल्स देखा जाएगा! जैसलमेर शहर और किले भी घूमने जाएंगे। वापस आकर आपको कहानी सुनाएंगे और फिल्म भी दिखाएंगे – The Border की.
इन सब चीज़ों के अलावा, इन चीज़ों को भी इग्नोर मत करियेगा! 🙂
कार्निवाल शायद धीरे धीरे सीप इन कर रहा था। ऐसा लग रहा था कि अब तक जो कुछ सीखा है, जितना जाना है और जितना आता है – सब कुछ इस ट्रिप के लिए ही है. अपने रामायण में भी तो दोनों भाईयों की लर्निंग्स को अयोध्या काण्ड में ही टेस्ट किया गया है. क्या ये हमारी ट्रिप का अयोध्या काण्ड चल रहा था?
पढ़िए 15 अगस्त वाली ट्रिप पर वशिष्ठ मनाली हमप्ता पास के रस्ते हमने आज़ादी का जश्न कैसे मनाया!
स्पीति वैली के लोगों की लाइफ तो मुश्किल है ही, ट्रैवेलर्स के लिए यहाँ पहुँचना उससे भी ज़्यादा डिफ़ीकल्ट है, ख़ास कर के सर्दियों में। जब नवंबर दिसंबर में बर्फ पड़ना शुरू होती है और रोहतांग के साथ साथ कुंजुम ला भी बंद हो जाता है, सर्दियों में स्पीति पहुंचने का सिर्फ एक रास्ता रह जाता है! हिंदुस्तान-तिब्बत हाईवे पर सतलुज नदी का पीछा करते हुए किन्नौर से आगे निकल कर स्पीति और सतलुज के संगम पर सतलुज छोड़ के स्पीति के साथ हो लेने वाला ये रास्ता ही विंटर स्पीति एक्सपेडिशन्स की मार्केट चलाता है.
लास्ट मंडे जाते जाते हमने आपको Kashmir Great Lakes की ideal itinerary दी थी। वैसे तो कुछ भी करने का सबका अपना अपना तरीका और ताम झाम होता है, फिर भी किसी और के एक्सपीरियंस से अगर कुछ सीखने को मिल रहा हो तो सीखने में कोई हर्ज़ नहीं करना चाहिए। बताने को तो काफी है, जैसे आपको क्या करना चाहिए और कैसे करना चाहिए और यह भी बता सकते हैं कि हमने क्या किया था और कैसे किया था। अगर किसी एक चीज़ पर फ़ोकस करेंगे तो दूसरी वाली पीछे रह जाएगी, इसलिए दोनों का एक बैलेंस्ड मिक्स लिखने की कोशिश कर रहे हैं। हम बस इतना कहना चाहते हैं कि जाइए, ज़रुर जाइए पर उस डेस्टिनेशन या ट्रेक की कुछ वाइटल इनफार्मेशन जाने बिना नहीं और कश्मीर के ग्रेट लेक्स ट्रेक के लिए तो इस प्रॉब्लम को हम सॉल्व किये देते हैं अभी।
एक अनदेखे, अनकहे और अनसुने गोल की तरफ़ हम निकल पड़े थे। तय यह हुआ था कि जो लीग बाहर वाले परफॉर्मर्स होंगे, उनके खर्चे का कुछ हिस्सा हम उठाएंगे ताकि उनके लिए एक मोटिवेशन भी रहे और कम्फर्ट भी – अब कहाँ पैसे होते हैं अपने इण्डियन आर्टिस्टों के पास। पर पैसे तो हमारे पास भी नहीं थे। और अगर हम किसी और को आर्टिस्ट मन रहे थे तो खुद को क्यों न मानें?
बहुत से लोग, संस्थाएं और सरकार इसे बचाने की कोशिश में लगे हैं। पर, माजुली को बचाने के लिए अभी तक जितने भी प्रयास किये गए हैं, कुछ ज्यादा सफल नहीं रहे। जरुरत है कि ज्यादा से ज्यादा लोग माजुली पहुँचे और लिखकर, मूवी बनाकर या किसी भी तरीके से माजुली पर मंडराते खतरे के बारे में लोगों को बताएं। सरकार और संस्थाओं के साथ-साथ लोगों का साथ ज्यादा जरुरी है, नहीं तो माजुली नक़्शे से ही गायब हो जाएगा।
जब लिखने बैठे तो शुरुआत में बस दो चार अल्फ़ाज़ इधर उधर कर पाए और एक बार फिर से कश्मीर को धरती का जन्नत कहते कहते रुक से गए। फिर हमें लगा कि आपको वह कश्मीर बताते हैं जिसे न तो ख़ुसरो ने देखा होगा और एक मुग़ल बादशाह के वहां जाने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता। हम बात कर रहे हैं कश्मीर में ट्रेकिंग की — ख़ास तौर पर Kashmir Great Lakes Trek की।
From Markha valley Trek to the infamous Chadar Trek, we would certainly bet on Ladakh being one of the best trekking destinations of India. We thought about sharing some of the best treks in Ladakh that you could pick up to explore and really understand why ‘it’ is what ‘it’ is!
हमें इस ट्रेक से जो समझ आया, वो ये था कि हमारी ज़िंदगी भी तो किसी ट्रेक की तरह ही है। मंज़िल तक पहुँचाने के लिए वो हमें तरह-तरह की मुश्किलों से मिलवाते हुए चलती है, पर आपको बस चलते रहने होता है। हर मुश्किल के साथ कुछ न कुछ सीखने को भी होता है। अगर आप मुश्किलों से हार न मान कर डटे रहते हैं तो मंज़िल तक ज़रूर पहुंचते हैं। किसी को प्यार में चाहना ही शिद्दत नहीं होता, शिद्दत हर उस चीज़ में होती है जो आपको ख़ुश करती है! तो, ऐसे काम ज़रूर करने चाहिए जो आपको अंदर से ख़ुश करें। ट्रैव्लिंग उनमें से एक है।
जो सियाचिन देखने के सपने देखते थे, उनसे लेकर जो बस सियाचिन को देश प्रेम झाड़ने का ज़रिया मानते हैं, उन तक — कल शाम से सियाचिन जाने के कितने सपने सजते चले गए. साथ ही, हर मुद्दे और पहल पर डिबेट करने का राष्ट्रीय रोज़गार भी शुरू हो गया – कितना सही है, कितना गलत है से लेकर ग्लोबल वार्मिंग के असर तक – इतना ज्ञान पेला जा रहा है कि हमने सोचा कि चलो थोड़ा पढ़ा जाए और जाना जाए कि आखिर सीन है क्या सियाचिन का. तो सबसे पहले ये पता किया गया कि सियाचिन है क्या, कहाँ है, क्यों है और फिर ये सारा बवाल समझ आया. तो जो हमारी समझ में आया, वही आपसे शेयर कर रहे हैं।
“असली भारत गाँवों में बसता है।” – महात्मा गांधी ध्यान से सोच कर देखें तो गांधी जी का यह कथन कई मायनों में हमको उन सवालों के जवाब दे सकता है, जिनको हम सभी समझने की आशा रखते हैं। सवाल कि आख़िर ‘भारत क्या है’, ‘ये कहां बसता है’, ‘इसकी सुध कहां रहती है?’ गांधी जी की बात का एक सीधा-सा मतलब यह निकलता है कि शहरों से तुलना न भी करें तो भारत के गांव ज़्यादा पुराने हैं, और काफ़ी पहले से बसे हुए हैं। शहर तो अब खड़े हुए हैं, अलग अलग गांव के लोगों से मिलकर ही […]
2 ट्रेलर रिलीज़ करने का प्लान है – एक एक्सपेडिशन और एक कार्निवाल का.
पहला ट्रेलर ये रहा!
और फिर दिवाली पर रिलीज़ होंगे पहले सेट ऑफ़ एपिसोड्स!
लर बनाते बनाते हमने पिछले 3 हफ़्तों में आपके साथ कुछ टीज़र्स शेयर किया है, अपने YouTube चैनल पर. क्योंकि ये ट्रेलर अलग अलग दिन और अलग अलग चीज़ों की स्नीक पीक है, तो हमें लगा कि ट्रेलर आने से पहले आपको एक बार ये टीज़र्स एक जगह दिखा दें. देखिए और कुछ ठीक-ठाक लगे तो हमारे चैनल को सब्सक्राइब ज़रूर कीजिएगा.
Yogesh Sarkar, the founder of BCMTouring breathed last at Pangong on his tenth trip to Ladakh. Although there is this deep void that is lurking around, I can only hope he had wished his last breaths in these mountains and that he had his wish fulfilled before he left for the eternal journey.
We got a chance to talk to Mohith about his walk from Manali to Khardung La and tried to know what is it actually that drives young Indians like him to take up traveling as a means of self-exploration. Read on the full conversation:
आपका जाना हुआ, तो आप यहाँ टेंट लगा सकते हैं – दूर से ही आपको बांग्लादेश व्यू पॉइंट का बोर्ड दिख जाएगा. ध्यान रहे कि यह कोई डेजिग्नटेड जगह नहीं है कैंपिंग के लिए, तो हो सकता है कि कभी प्रशासन आकर आपको यहाँ से जाने के लिए कहे.
ये कहानी है एक किस्से की! भारत के उत्तर में, हिमालय के पश्चिम की. हमारे आपके समय से कोसों दूर, दुनिया से अलग एक दुनिया बसती है. यहाँ समय घड़ी को मोहताज़ नहीं है. स्थिर है. मानों ध्यान लगाए बैठा है. या शायद किसी सफर में है. इस किस्से का सफर एक अनंत की यात्रा है. ये किस्सा एक कहानी का है. पढ़िए बाल काण्ड!
That moment to the days ahead, these mammoth structures kept moving with us, as if we were the trespassers being chased in their lands. They made it rain! They unleashed storms! And when the cold breeze was not piercing into our face, at times they summoned the sun!
15 अगस्त वाले वीकेंड पर बागा सराहन और फिर वहाँ से श्रीखंड महादेव जाने का प्लान था अपना। होकर तो आ चुके हैं पर वहाँ से अभी बाहर नहीं निकल पाए हैं। जिसका कभी अंदाज़ा भी न रहा हो वैसा एक्सपीरियंस रहा; जो दिखा वो कल्पना से परे था, जो सुना वो आजतक अन-सुना था – शोर था और शान्ति भी। मॉनसून था तो पूरी वादी में बादल खेल रहे थे और प्रकृति जैसे ओस का पर्दा करे बैठी हो। कभी-कभी बस जब बादल हटते तो दूर क्षितिज दिखता वरना एहसास हवा में तो था पर नज़ारा बंद। रास्ते में […]
Backpacking is considered one of the most efficient and sustainable forms of travel. It rarely does contribute to mass tourism and brings in money to the interiors of a place. Backpacking implies an interesting milieu of intercultural exchanges and learnings. As one of the most ‘aware’ group of travelers and tourists, Backpackers help in reducing carbon footprints – thanks to their ‘jugaads’ and other ways of travel. In the final episode of our web series THAT HARSHIL WEEKEND, we explore and bring to you the charms of Bagori Village. Bagori nests in it, the migrants forced out by the Indo […]
On our backpacking trip to Harshil Valley in Garhwal Himalayas, we are trying to decode backpacking as a means of travel. In Episode 2, watch how we made it to Harshil Valley after we had left for Dayara Bugyal Trek and Camping. Backpacking is considered one of the most efficient and sustainable forms of travel. It rarely does contribute to mass tourism and brings in money to the interiors of a place. Backpacking implies an interesting milieu of intercultural exchanges and learnings. As one of the most ‘aware’ group of travellers and tourists, Backpackers help in reducing carbon footprints – […]
Backpacking is considered one of the most efficient and sustainable forms of travel. It rarely does contribute to mass tourism and brings in money to the interiors of a place. Backpacking implies an interesting milieu of intercultural exchanges and learnings. As one of the most ‘aware’ group of travelers and tourists, Backpackers help in reducing carbon footprints – thanks to their ‘jugaads’ and other ways of travel. On our weekend backpacking trip to Harshil Valley in Garhwal Himalayas, we are trying to decode backpacking as a means of travel. Writer: Pushkar Ranjan, Narendra Rathi Narration: Pushkar Ranjan Photographer: Oliur Rahman […]
बर्फ़ गई और समय आ गया है पिछले साथ-आठ महीनों से बंद पड़े रस्ते, रोड्स, ट्रेल्स और ट्रेक्स के खुलने का. चटक धूप खिली है और सफ़ेद पाउडर का सूरज और चाँद के साथ नैन-मटक्का भी शुरू हो गया है. बर्फ़ भी उम्मीद से ज़्यादा मिली है, सो उसका भी इन रास्तों और ट्रेक्स पर अपना ही असर है. इधर परीक्षाएं भी ख़त्म होने वाली है, फिर आएंगी गर्मी की छुट्टियां और उत्तर भारत में शादियों के मौसम – आजकल लोगों का हनीमून ‘ट्रेक’ भी हो गया है! कुल मिलाकर देखा जाए तो उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू कश्मीर जैसे राज्यों में […]
जो भाई लोग स्पीती होकर आए हैं, वो इस वाले पोस्ट ऑफ़िस को ज़रूर जानते होंगे. देखते ही बता देंगे कि भई हिक्किम है यह तो और जो तस्वीर में है, वह है दुनिया का highest पोस्ट ऑफ़िस – समुद्र तल से 14,567 ft की ऊँचाई पर। जिन्हें नहीं पता और जो passes खुलने की बाट जोह रहे हैं, उनके लिए –
There are islands and then there is a floating district that has kept secrets of human civilization so diverse that one actually has to take pointers to bring them down on paper. We are talking about Majuli,
With memories of the last trip to the Triund Mountains, this time, while my friends were pondering over our next destination — Auli, a silly thought, as it sounds to me now, kept knocking my fancy — to what extent can nature surprise us? After all, it will be the same trees and mountains, same solitary cafes and the solitude that the Himalayas offer?
अपना नार्थ ईस्ट वाली ट्रिप रहा बहुत शानदार – दिल्ली से गुवाहाटी, गुवाहाटी से माजुली, माजुली से हार्नबिल फेस्टिवल, हार्नबिल से आसाम के एक छोटे से कसबे करीमगंज और पघिर वहां से मेघालय – 10 दिन कैसे बीत गए, कुछ पता ही नहीं चला.
कोई श्रद्धा से, कोई शौक से, कोई सनक में या पागलपन में – हर साल हज़ारों लोग अपने -अपने मकसद और अरमान लिए श्रीखंड महादेव की यात्रा के लिए आते हैं. कुछ दर्शन कर पाते हैं, कुछ रह जाते हैं. 2018 में भी कुछ ऐसा ही हुआ – करीब 12 से 13 हज़ार लोग श्रीखंड दर्शन करने पहुँचे, लेकिन सिर्फ़ दो से ढ़ाई हज़ार लोगों को ही बाबा के दर्शन मिले. हम बहुत ख़ुश-नसीब रहे कि हमें ऊपर मौसम बेहतरीन मिला। फूल जैसी यात्रा रही और दर्शन अलौकिक! श्रीखंड महादेव ट्रैक आसान तो नहीं है पर नामुमकिन भी नहीं ! […]
Shrikhand Mahadev trek is the saga of speaking stones, boulders called as stairs, flamboyant waterfalls, canals cutting through the ways, muddy ways beyond clouds, scenic snow-clad mountains and all that which is a part of mother nature. The trek is famous as a pilgrimage to the peak of Shrikhand Mahadev where a rock-made Shivling of around 75 feet in height and 46 feet in thickness is situated at a height of 18570 ft in the Indian Himalayas.
पहुंचे तो पता चला कि यहाँ झील के आस-पास टेंट नहीं लगा सकते – सरकारी ऑर्डर है (क्योंकि यहाँ भूत आते हैं – ऐसा लोग कहते हैं )! लो भाई, अब क्या करें!
Have you ever wondered if wandering can be poetic? If no, then Trying Triund should be first in your trek-list. A trek so serene and tranquil with ways so poetic that every single step of yours seems to create music. The Triund top is best known for its quietude which fills you from inside, an enchanting view of Dhauladhar Mountain Range and a large ridge of green grass with a 360-degree view of mountainous beauty. ABOUT THE TREK It is one day trek to the top of Triund Hill amidst the laps of Dhauladhar mountains, also known as ‘the crown […]
There are pilgrimages of the sorts of Kedarnath, Badrinath, and others. Then there is this – an entry point where the flags fly free of all the differences; the mountains overlook with utmost peace and serenity and a small temple – with the deity waiting for you in the solace of whirl-pooling winds and roaring silence.
Well, what words could be used for an experience like those where strangers that met on a Facebook Group (India: Travelers and Backpackers) decide to come together for the love of travel and the perks that it has to offer?
Tough roads lead to beautiful destinations. And, when the routes are of the greater Himalayas, it will be fool’s idea to speak on their behalf. The Himalayan routes speak for themselves and their tales are enchanting, fulfilling and prospering. Dedicated to all riders & drivers, here are some of our chosen routes widespread all over the Great Himalayan Ranges. Guwahati – Tezpur – Dirang – Tawang North-East India is home to some of the best road trip routes and remains one of the last few un-commercialized travel destinations in India. From Shillong to Tawang, the route has many sharp hairpin […]