अगर सिर्फ लिखने की ही बात है, तो हम अपने पैरों को पंख और आपके मन को पीस लिख सकते हैं! पर अभी हमारा मन ऐसा कुछ लिखने का नहीं है — अभी तो हमारे दिमाग में सिर्फ एक क़िस्सा ए दानाई ने घर बना रक्खा है। पर यह क़िस्सा शुरू करने से पहले आपके लिए यह जानना ज़रूरी है कि क़िस्सा ए दानाई आख़िर है क्या बला! तो कान लगा के ध्यान से देखिएगा – क़िस्सा ए दानाई में दो वर्ड्स हैं, पहला क़िस्सा, जिसका माने है किस्सा, कहानी या वृतांत; और दूसरा वर्ड है दानाई, जिसका मतलब होता है विज़डम! तो जी, इस बोडोलैंड वाली ट्रिप पर जिस विज़डम से हम जिए, ये उसी की बात है – क़िस्सा ए दानाई।
वैसे ये क़िस्सा ए दानाई सुनते सुनते आपका इस बात पर हमें लताड़ने का मन कर सकता है कि हमारी लैंग्वेज प्योर और पारिवारिक क्यों नहीं है! हम बस इतना कहेंगे कि जिस दिन राजश्री प्रोडक्शन वाले अपनी फिल्मों की स्क्रिप्ट या डायलॉग हम से लिखवाने लगेंगे, उस दिन हम वो भी कर लेंगे। अब इससे पहले कि हम शूर्पनखा की तरह हांडते – हांडते, राम और लक्ष्मण पर फ़िदा हो कर अपनी नाक कटवा लें, हम अपने क़िस्सा ए दानाई पर आ जाते हैं।